Appeal

प्रेस विज्ञप्ति
14 अगस्त 2021
75 वा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, देश के चंद्रवंशी नौजवानो संकल्प लो,
चंद्रवंशी महासभा को आजाद कराओ **
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अखिल भारतवर्षीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा 1906 मे स्थापित और 1912 निबंधित चंद्रवंशी यों का एक ऐतिहासिक सामाजिक संस्था है! फिलहाल यह संस्था अपने ही लोगो का शिकार हो गया है और कई लोग अपने को राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा कर रहे हैं !
इसलिए नेतृत्व के सवाल को लेकर मामला न्यायालय ( सिटी कोर्ट कोलकाता बेंच नंबर 8) मैं 2016 से ही विचाराधीन हैं !
इस बीच एक ही महासभा का हर जिला , राज्य एवं केंद्र स्तर पर एक से अधिक समितियां और कई लोग स्वयंभू अध्यक्ष होने का दावेदारी समाज के सामने पेश कर रहे हैं!
अभी अभी धनबाद के कुणाल चंद्रवंशी जी ने भी अपने आप को राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा कर रहे हैं ।
इसके पहले से बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक सह विधानसभा याचिका समिति के अध्यक्ष, डॉक्टर प्रेम कुमार जी और झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री रामचंद्र चंद्रवंशी जी के पुत्र डॉक्टर ईश्वर सागर , चांसलर रामचंद्र विश्वविद्यालय बिश्रामपुर गढ़वा के अलावे भी कई लोग राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा करते आ रहे हैं!
अध्यक्ष के सभी दावेदार पैसा और राजनीतिक शक्ति के बल पर जगह जगह जिला एवं राज्य स्तर पर कुछ अपने समर्थक भी जुगाड़ करके रखे हैं, जो समय समय पर समाज में इनका उपस्थिति दर्ज कराने का असफल प्रयास करते आ रहे हैं!
कैसी विडंबना है की एक सामाजिक संस्था का कई लोग स्वयंभू अध्यक्ष होने का दावा कर रहे हैं और वो दावा करने वाले, कोई साधारण लोग नहीं है सभी लोग पढ़े लिखे लोग हैं पावरफुल लोग हैं फिर भी उन्हें अपने समाज एवं देेश के सामने ऐसा गलत काम करने में न कोई शर्म लग रहा है और ना ही कोई भय!
सिटी कोर्ट कोलकाता ने 3 मइ २017 को यह स्पष्ट आदेश दे रखा है की महासभा का चुनाव कोई भी पक्ष कराता है तो ना उसका परिणाम घोषित कर सकेगा और ना ही चुनाव किसी भी स्थिति में लागू माना जाएगा।
जब तक इस संबंधित न्यायालय के द्वारा इस संदर्भ में आदेश नहीं दिया जाता है!
ये सभी लोग अपने आप को कानून से ऊपर मान कर चल रहे हैं! जबकि हकीकत यह है कि एक संगठन का एक से अधिक अध्यक्ष किसी समिति का नहीं हो सकता है । महासभा के निबंधित संविधान में भी एक ही अध्यक्ष होने का प्रावधान है संविधान में यह व्यवस्था है कि संगठन का चुनाव प्रतिवर्ष होगा।
अखिल भारतीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा का गठन आजादी के पहले 1906 में चंद्रवंशी समाज के बुद्धिजीवियों ने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने, समाज में शिक्षा प्रचार प्रसार करने तथा देश के आजादी के लिए गोलबंद होकर लड़ाई लड़ने के लिए किया था, किंतु आज यह संगठन चंद अपने ही लोगों का शिकार होकर कई खेमों में बिखर गया है और चंद्रवंशी समाज को हर स्तर पर शर्मसार होना पड़ रहा है पर इन महानुभावों को अपने स्वार्थ के सामने कुछ और नजर नहीं आ रहा है! इसलिए देश के, चंद्रवंशी नौजवानों से आग्रह है कि , उठो जागो संगठित होकर आगे आओ और
75 वा स्वतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर यह संकल्प लो की चंद लोगों ने जो, चंद्रवंशीयो के इस ऐतिहासिक संगठन को पैसा और पावर के बल पर अपने निजी स्वार्थ के लिए गुलाम बना कर रखा है, इसे आजाद कराएं!
इसे संवैधानिक बनाएं!
आम लोगों को इससे जुड़ने का अवसर दें !

सुरेंद्र सिंह
केंद्रीय सदस्यता प्रभारी
सह
पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष

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मगध सम्राट जरासंध जी के संदर्भ में भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में गलत टिप्पणी करना निंदनीय है! संपूर्ण भारतवर्ष के चंद्रवंशी समाज इसका घोर निंदा करते हैं और भारत के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और कानून मंत्री से यह मांग करते हैं कि देश के करोड़ों चंद्रवंशीओ के भावना को कद्र करते हुए सम्राट जरासंध के संदर्भ में किए गए गलत टिप्पणी को अटॉर्नी जनरल वापस ले नहीं तो इनके विरोध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए !इन्हें बर्खास्त किया जाए !सम्राट जरासंध जाली नोट और भ्रष्टाचार के प्रतीक नहीं थे ! सम्राट जरासंध मजबूत इरादे वाले अपने वचन के पक्के महान शिव भक्त थे ! जो भी मानव के रूप में जन्म लिया है उससे एक दिन मरना होगा! पर सम्राट जरासंध इतने सौभाग्यशाली थे कि भगवान श्री कृष्ण के युक्ति से उनको मुक्ति मिली!