महासभा का सदस्य बने

. एक कड़वी सच्चाई
अखिल भारतवर्षीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा में किसी भी तरह का परिवर्तन के लिए सबसे पहले मौलिक अधिकार के तहत उसका सदस्य बनना होगा?
सदस्य बनने के साथ-साथ कम से कम समान विचारधारा वाले 51 प्रतिशत लोगों को जोड़ना पड़ेगा ?
लोकतांत्रिक व्यवस्था में अगर सर्वसम्मति से हम कुछ नहीं कर पाते हैं तो बहुमत के आधार पर हम समाज की जरूरतों और अपनी बातों को मनवा सकेंगे?
किसी भी संगठन में किसी व्यक्ति से जाति दुश्मनी का कोई स्थान नहीं होता है?
लोकतांत्रिक व्यवस्था में अगर कोई गलत है तो उसका जवाब बुलेट के जगह बैलेट से देने की व्यवस्था बनाई गई है?
जिस मंच पर हम सभी बात कर रहे हैं उस मंच का नाम ही है चंद्रवंशी एकीकरण डेलीगेट टीम /एकीकरण टीम!
इसलिए अगर हम लोग वास्तव में महासभा के अंदर आज के परिवेश के अनुसार ,
उसके संवैधानिक ढांचा में परिवर्तन और सही लोगों का नेतृत्व चाहते हैं तो सबसे पहले उसका संवैधानिक सदस्य बने और अपने साथियों को बनाएं ! अगर सामाजिक मंच पर किसी मुद्दे को लेकर कोई बैठक होती है और उसमें आमंत्रित किया जाता है
तो हम अवश्य भाग ले और अगर किसी कारण बस भाग नहीं ले सकते हैं
तो आयोजक को इसकी सूचना दें और अपने प्रस्ताव और विचारों से उन्हें अवगत कराएं और उनसे आग्रह करें की मीटिंग में इस पर भी विचार होना चाहिए!
अगर मेरे अनुपस्थिति में कोई बैठक होता है और उसमें कोई निर्णय लिए जाते हैं और उस निर्णय से हम सहमत नहीं है तो
संगठन के संचालक को एक बार पुण: उस निर्णय पर पुनर्विचार के लिए अपील करना चाहिए
ना कि उस निर्णय को सार्वजनिक आलोचना करना चाहिए?
एक स्वस्थ परंपरा के तहत हम सबों को इस पर विचार करना चाहिए ताकि जिन उद्देश्यों के लिए यह मंच बनाया गया है उसमें हम सभी सफल हो!
धन्यवाद

महासभा का सदस्य बने

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मगध सम्राट जरासंध जी के संदर्भ में भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में गलत टिप्पणी करना निंदनीय है! संपूर्ण भारतवर्ष के चंद्रवंशी समाज इसका घोर निंदा करते हैं और भारत के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और कानून मंत्री से यह मांग करते हैं कि देश के करोड़ों चंद्रवंशीओ के भावना को कद्र करते हुए सम्राट जरासंध के संदर्भ में किए गए गलत टिप्पणी को अटॉर्नी जनरल वापस ले नहीं तो इनके विरोध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए !इन्हें बर्खास्त किया जाए !सम्राट जरासंध जाली नोट और भ्रष्टाचार के प्रतीक नहीं थे ! सम्राट जरासंध मजबूत इरादे वाले अपने वचन के पक्के महान शिव भक्त थे ! जो भी मानव के रूप में जन्म लिया है उससे एक दिन मरना होगा! पर सम्राट जरासंध इतने सौभाग्यशाली थे कि भगवान श्री कृष्ण के युक्ति से उनको मुक्ति मिली!